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Workbook Answers of Deepdan - Ekanki Sanchay

Workbook Answers of Deepdan - Ekanki Sanchay
दीपदान - एकांकी संचय

अवतरणों पर आधारित प्रश्न

धाय माँ, देखो न कितनी सुंदर-सुंदर लड़कियाँ नाच रही हैं। गीत गाती हुई तुलजा भवानी के सामने नाच रही हैं। चलो न! देखो न!


(क) वक्ता एवं श्रोता कौन-कौन हैं ? वक्ता का परिचय दीजिए।

उत्तर : वक्ता कुँवर उदय सिंह हैं और श्रोता पन्ना धाय है। कुँवर उदय सिंह चित्तौड़ के स्वर्गीय महाराणा साँगा का सबसे छोटा पुत्र है। उसकी आयु 14 वर्ष की है और वह राज्य का उत्तराधिकारी है। 

(ख) धाय माँ कौन है ? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर: धाय माँ एकांकी की नायिका है। वह महाराणा के छोटे पुत्र उदय सिंह की धाय माँ तथा संरक्षिका है। उसकी आयु 30 वर्ष की है। वह चंदन की माँ है।

(ग) सुंदर-सुंदर लड़कियाँ कहाँ नाच रही थीं और क्यों ?

उत्तर : एक रात्रि में महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने दीपदान के आयोजन के बहाने नृत्य का आयोजन करवाया। उस आयोजन में सुंदर-सुंदर लड़कियाँ गीत गाती हुई तुलजा भवानी के सामने नाच रही थीं। बनवीर ने प्रजाजनों को इस नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय सिंह की हत्या की योजना बनाई थी।

(घ) धाय माँ लड़कियों का नृत्य देखने क्यों नहीं जाना चाहती थी ?

उत्तर: धाय माँ लड़कियों का नृत्य देखने इसलिए नहीं जाना चाहती थी क्योंकि उसे पता था कि चारों तरफ जहरीले सर्प अर्थात् बूंखार दुश्मन घूम रहे हैं। वे किसी भी समय उदय सिंह को डंस सकते हैं। वह उदय सिंह की रक्षा के लिए चिंतित थी।



नहीं, कुँवर ! तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ ज़हरीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय भी तुम्हें डंस सकते हैं।



(क) कुँवर कौन है तथा उनसे बात करने वाला कौन है ?

उत्तर : कुँवर उदय सिंह चित्तौड़ के स्वर्गीय महाराणा साँगा का सबसे छोटा पुत्र है तथा उनसे बात करने वाली उसका संरक्षण करने वाली धाय माँ पन्ना है

(ख) 'जहरीले सर्प' से वक्ता का संकेत किनकी ओर है और क्यों ?

उत्तर : 'जहरीले सर्प' से पन्ना धाय का संकेत महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी-पुत्र बनवीर की ओर है। वह चित्तौड़ के राज्य पर अधिकार जमाना चाहता है। उदय सिंह के छोटा बच्चा होने के कारण बनवीर को राजगद्दी पर बिठाया गया था और अब वह कुँवर उदय सिंह की हत्या करके राजगद्दी पर अपना कब्जा जमाना चाहता है।

(ग) बनवीर कौन था ? वह उदय सिंह को क्यों मारना चाहता था ?

उत्तर : बनवीर महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज का दासी-पुत्र था। महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उसे राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था और वह कुँवर उदय सिंह, जो कि राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था, को मारकर राज्य को पूरी तरह से हड़प लेना चाहता था।

(घ) सोना कौन थी ? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर : सोना रावल सरूप सिंह की अत्यंत रूपवती कन्या है। उसकी आयु 16 वर्ष है। वह अत्यंत वाक्पटु है और नृत्यकला में पारंगत है।

दिन में तो तुम चित्तौड़ के सूरज हो, कुँवर ! और रात में तुम राजवंश के दीपक हो, महाराणा साँगा के कुलदीपक।


(क) किसने, किसे चित्तौड़ का सूरज कहा और क्यों ?

उत्तर : पन्ना धाय ने कुँवर उदय सिंह को सूरज कहा क्योंकि सूरज की तरह उनका उदय हुआ है और इसीलिए उनका नाम कुँवर उदय सिंह रखा गया है ।

(ख) 'रात में तुम राजवंश के दीपक हो' से वक्ता का क्या आशय है ?

उत्तर : इस पंक्ति के माध्यम से पन्ना धाय कहना चाहती है कि कुँवर उदय सिंह महाराणा साँगा के कुल के चिराग हैं और राजवंश को अपने दीपक की रोशनी से जगमगा दोगे।


(ग) कुँवर वक्ता की किस बात से रूठ गए ? उसने वक्ता से क्या कहा और वक्ता ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर : जब धाय माँ पन्ना ने तुलजा भवानी के सामने नाचने वाली लड़कियों का नृत्य देखने से इनकार कर दिया, तब कुँवर उदय सिंह रूठ जाते हैं और पन्ना से कहते हैं कि वह उदय सिंह और कुल का दीपक नहीं बनेगा। पन्ना कहती है कि रूठने से राजवंश नहीं बनते। तुम थक गए होगे, जाकर आराम कर लो। 

(घ) वक्ता ने तलवार के संबंध में क्या कहा ?

उत्तर : पन्ना तलवार के बारे में कहती है कि चित्तौड़ में तलवार से कोई नहीं डरता। जैसे बेल में फूल खिलते हैं, वैसे ही वीरों के हाथों में तलवार खिलती है; तलवार चमकती है। चित्तौड़ की रक्षा में कुँवर उदय सिंह को भी कई दिनों तक तलवार के साथ ही सोना पड़ेगा।



उन्होंने कहा, महल में धाय माँ अरावली पहाड़ बनकर बैठ गई है। अरावली पहाड़ (हँसती है) तो तुम लोग बनास नदी बनकर बहो न! खूब नाचो, गाओ। यों आज कोई उत्सव का दिन नहीं था, फिर भी उन्होंने कहा, मेरे बनवाए हुए मयूर पक्ष कुंड में दीप-दान करो।


(क) 'उन्होंने' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर : 'उन्होंने' शब्द का प्रयोग महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी-पुत्र बनवीर के लिए किया था। बनवीर महाराणा संग्राम सिंह के छोटे भाई पृथ्वीसिंह का दासी-पुत्र है। उसे राजगद्दी पर इसलिए बिठाया गया है क्योंकि राज्य का असली उत्तराधिकारी उदय सिंह अभी छोटा बच्चा है। वह कुँवर उदय सिंह की हत्या कर चित्तौड़ के राज्य पर अधिकार जमाना चाहता है

(ख) नाच-गायन तथा दीपदान का आयोजन किसने तथा किस उद्देश्य से करवाया ?

उत्तर : बनवीर ने एक रात्रि में दीपदान के आयोजन के बहाने नृत्य-गायन का आयोजन करवाया ताकि प्रजाजनों को इस नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय सिंह की हत्या कर दी जाए और चित्तौड़ के राज्य पर पूरी तरह अधिकार कर लिया जाए।

(ग) पन्ना की कर्तव्यनिष्ठा एवं स्वामिभक्ति पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: धाय माँ पन्ना महाराणा के छोटे पुत्र उदय सिंह की धाय माँ तथा संरक्षिका है। कुँवर उदय सिंह की प्राणों की रक्षा के लिए वह अपने इकलौते पुत्र चंदन की बलि चढ़ा देती है। वह अपने हृदय पर पत्थर रखकर अपने कर्तव्य का पालन करती है तथा अपने मुँह से आह भी नहीं निकलने देती। वह अत्यंत कर्तव्यनिष्ठ और स्वामिभक्त है। 

(घ) बनास नदी का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है और क्यों ?

उत्तर : बनास नदी का प्रयोग नाचने, गाने, आनंद और मंगल मनाने के संदर्भ में किया गया है क्योंकि बनवीर चाहता है कि सभी प्रजाजन दीप-दान के इस उत्सव में नदी की लहरों के समान बहते हुए खो जाएँ और वह कुँवर उदय सिंह की हत्या की योजना को पूरा कर ले।

मैं ही क्या, सारे नगर-निवासी यह त्योहार मना रहे हैं, नहीं मना रही हो तो तुम ! धाय माँ, तुम ! पहाड़ बनने से क्या होगा ? राजमहल पर बोझ बनकर जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, पत्थर भी! 

आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच नाचेंगी।

(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं ? नगर-निवासी कौन-सा त्योहार मना रहे हैं और क्यों ?

उत्तर: वक्ता रावल सरूप सिंह की लड़की सोना है और श्रोता धाय माँ पन्ना है। एक रात्रि में दान के आयोजन के बहाने बनवीर ने नृत्य और गायन का आयोजन करवाया। उसमें सभी नगर-निवासियों ने भाग लिया और गीत गाते हुए तुलजा भवानी के सामने नाचे। इसका आयोजन बनवीर ने एक षड्यंत्र को पूरा करने के लिए करवाया था।

(ख) उस त्योहार का आयोजन किसने, किस उद्देश्य से किया था ?

उत्तर : इस त्योहार का आयोजन महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी-पुत्र बनवीर द्वारा करवाया गया था। इस आयोजन में प्रजाजनों को नृत्य-गान में व्यस्त रखकर वह कुँवर उदय सिंह की हत्या करके चित्तौड़ की राजगद्दी पर कब्जा करना चाहता था।

(ग) 'धाय माँ, तुम्हारे पहाड़ बनने से क्या होगा।' वक्ता के इस कथन का क्या आशय था ?

उत्तर : रावल सरूप सिंह की लड़की सोना पन्ना माँ से कहती है कि तुम पहाड़ के समान अटल और स्थिर रहकर अपने निश्चय के प्रति दृढ़ हो और सब कुछ भूल कर केवल उदय सिंह के प्रति अपने कर्तव्य का पालन कर रही हो। परंतु तुम्हें नहीं मालूम कि तुम राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी। तुम नदी के समान बनकर उमंग और खुशी का जीवन बिताओ।

(घ) 'और नदी बनो नाच नाचेंगी।' - कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सोना पन्ना से कहती है कि यदि तुम नदी बनकर बहोगी, तो तुम्हारा बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण कर लेंगे। तब आनंद और खुशियाँ तुम्हारे किनारे होंगे। जीवन के प्रवाह में तुम आनंद महसूस करोगी। 

विलासी और अत्याचारी राजा सभी निष्कंटक राज्य नहीं कर सकता।


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? परिचय दीजिए और कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: वक्ता धाय माँ पन्ना है और श्रोता अंत:पुर की परिचारिका सामली है और उसकी उम्र अट्ठाईस वर्ष है। यह कथन पन्ना तब कहती है, जब सामली चीख-पुकार करती पन्ना से कहती है कि बनवीर ने महाराणा विक्रमादित्य की हत्या कर दी है और अब वह कुँवर उदयसिंह को भी सिंहासन का अधिकारी समझकर जीवित नहीं रहने देगा और वह कहता है कि अब वह निष्कंटक राज्य करेगा।

(ख) विलासी और अत्याचारी राजा से किसकी ओर संकेत किया गया है ? ऐसे व्यक्ति को राजगद्दी पर क्यों बिठाया गया था ?

उत्तर : विलासी और अत्याचारी राजा से महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दास-पुत्र बनवीर की ओर संकेत किया गया है। उसे राजगद्दी पर इसलिए बिठाया गया था क्योंकि महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राजसिंहासन का उत्तराधिकारी था, पर वह केवल 14 वर्ष का था, इसलिए उसे राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था।

(ग) उसने अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए कौन-सी चाल चली ?

उत्तर : बनवीर चित्तौड़ के राज्य पर पूरी तरह से अधिकार जमाना चाहता था। उसने एक रात्रि में दीपदान के आयोजन के बहाने नृत्य का आयोजन करवाया और प्रजाजनों को इस नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय में सिंह की हत्या की योजना बनाई।

(घ) 'निष्कंटक' का क्या अर्थ है ? यह शब्द किसके संदर्भ में और क्यों प्रयोग किया गया है ? 

उत्तर : 'निष्कंटक' शब्द का अर्थ है – बाधा रहित । यह शब्द बनवीर के संदर्भ में प्रयोग किया गया है। बनवीर कहता है कि अब उसने अपने मार्ग की सब बाधाएँ अर्थात् कुँवर उदय सिंह को दूर कर देगा, इसलिए वह निष्कंटक राज्य करेगा।

राजा की हत्या करने के बाद दासी-पुत्र मनुष्य है ? वह जंगली पशु से भी गया- बीता है।


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? 

उत्तर: वक्ता अंत:पुर की परिचारिका सामली है और श्रोता धाय माँ पन्ना है। 

(ख) उपर्युक्त कथन में किस राजा की हत्या की बात कही गई है ?

उत्तर : उपर्युक्त कथन में महाराणा विक्रमादित्य की हत्या की बात कही गई है। 


(ग) हत्या किसने की ? उसने हत्या करने से पूर्व क्या षड्यंत्र रचा ? उसे जंगली पशु से भी गया-बीता क्यों कहा गया है ?

उत्तर : हत्या बनवीर ने की। महाराणा विक्रमादित्य की मृत्यु से पहले उसने दीपदान के आयोजन के बहाने नृत्य का आयोजन करवाया तथा प्रजाजनों को नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय सिंह की हत्या की योजना बनाई। उसे जंगली पशु से भी गया-बीता इसलिए कहा गया क्योंकि केवल जंगली जानवर ही अपने स्वार्थ के लिए किसी की भी हत्या करने में नहीं हिचकिचाते। ऐसा ही बनवीर ने भी किया।

(घ) पन्ना ने कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए क्या योजना बनाई ?

उत्तर : पन्ना ने कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए अपने तेरह वर्ष के पुत्र चंदन को कुँवर उदय सिंह की शैय्या पर सुला देने की योजना बनाई। क्रोध में अंधा हुए बनवीर पहचान ही नहीं पाएगा कि कौन सोया हुआ है और इस प्रकार कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा हो जाएगी। 

अन्नदाता ! प्यार कहने में ज़बान पर कैसे आए ? वो तो दिल की बात है। मौके पे ही देखा जाता है। और कहने को तो मैं कही चुका हूँ कि उनके लिए अपनी जान तक हाज़िर कर सकता हौं। 


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं, दोनों का परिचय दीजिए। वक्ता ने अन्नदाता शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?

उत्तर : वक्ता जूठी पत्तल उठाने वाला कीरत बारी है। उसकी आयु चालीस वर्ष है। श्रोता कुँवर उदय सिंह का संरक्षण करने वाली धाय माँ है। उसकी आयु तीस वर्ष है। कीरत राजमहल में जूठी पत्तलों को उठाने का काम करता है और उसकी रोजी रोटी इसी से चलती है, इसलिए वह पन्ना को अन्नदाता कहता है। 

(ख) वक्ता ने श्रोता की कौन-सी बात सुनकर उपर्युक्त कथन कहा ?

उत्तर : जब पन्ना धाय कीरत बारी से कहती है कि क्या वह कुँवर जी को बहुत प्यार करता है, तब वह उपर्युक्त कथन कहता है।

(ग) वक्ता ने श्रोता की क्या सहायता की, कब और कैसे ? 1

उत्तर : कीरत बारी ने सोते हुए कुँवर उदय सिंह को अपनी जूठी पत्तलों वाले टोकरे में छिपाकर राजभवन से बाहर ले जाकर उसके प्राणों की रक्षा करके पन्ना की सहायता की थी।


(घ) पन्ना ने कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा किस प्रकार की ?

उत्तर : पन्ना ने राजभवन से जूठी पत्तलें उठाने वाले कीरत बारी से कहा कि वह जूठी पत्तले उठाने वाली बड़ी टोकरी में सोते हुए कुँवर उदय सिंह को राजभवन से बाहर ले जाए और उसने कुँवर जी की शैय्या पर अपने पुत्र चंदन को सुला दिया, जिसे कुँवर उदय सिंह समझकर बनवीर ने उसकी हत्या कर दी और कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा हो गई।



चली गई। कहती है, ऐसा मैं नहीं सुन सकूँगी। जो मुझे करना है, वह सामली सुन भी न सकेगी। भवानी! तुमने मेरे हृदय को कैसा कर दिया ? मुझे बल दो कि मैं राजवंश की रक्षा में अपना रक्त दे सकूँ।


(क) उपर्युक्त कथन किसने, किस संदर्भ में कहा है ?

उत्तर : उपर्युक्त कथन पन्ना ने तब कहे जब पन्ना के यह बताने पर कि वह कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए अपने पुत्र चंदन को उदय सिंह की शैय्या पर सुला देगी। यह सुनकर सामली पन्ना से कहती है कि आप ऐसा मत कहिए। ऐसा मैं सुन नहीं सकूँगी। यह कहते-कहते वह वहाँ से चली जाती है। 

(ख) 'मुझे जो करना है, वह सामली सुन भी न सकेगी।' वक्ता क्या करना चाहता था ?

उत्तर : पन्ना धाय चित्तौड़ राज्य के उत्तराधिकारी कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए अपने पुत्र चंदन के प्राणों की बलि देने के लिए तैयार थी।

(ग) पन्ना ने राजवंश की रक्षा कैसे की ?

उत्तर : पन्ना ने कुँवर उदय सिंह को कीरत बारी के जूठी पत्तलों के टोकरे में छिपाकर राजमहल से सुरक्षित बाहर निकाल दिया और अपने पुत्र चंदन को कुँवर की शैय्या पर सुला दिया तथा उसका मुख कपड़े से ढंक दिया। बनवीर जब उदयसिंह को मारने आया, तो उसने सोए हुए चंदन को ही कुँवर समझकर उसकी हत्या कर दी।

(घ) पन्ना का बलिदान अभूतपूर्व कैसे था ?

उत्तर : पन्ना ने चित्तौड़ राज्य के उत्तराधिकारी कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा के लिए अपने इकलौते पुत्र चंदन के प्राणों की बलि चढ़ा दी। वह अपने हृदय पर पत्थर रखकर अपने कर्तव्य का पालन करती है और अपने मुँह से आह भी नहीं निकलने देती। स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना धन्य है, जिसने अपनी कर्तव्य-पूर्ति में अपने आँखों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया। 

आज मैंने भी दीप-दान किया है। दीप-दान। अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है। ऐसा दीप-दान भी किसी ने किया है ? एक बार तुम्हारा मुख देख लूँ। कैसा सुंदर और भोला मुख है। (सिसकियाँ लेती है)।


(क) वक्ता कौन है ? उसकी मार्मिक वेदना को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: वक्ता पन्ना है। पन्ना कुँवर उदय सिंह की रक्षा के लिए अपने कुल के दीपक चंदन का बलिदान देने को तैयार हो जाती है। जब वह अपने पुत्र को कुँवर उदय सिंह की शैय्या पर सुला देती है, तो उसके मन में व्यथा होती है। वह अपने आप को कोसती है कि उसने अपने भोले बच्चे के साथ कपट किया है। अंगारों की सेज पर अपने फूल से लाल को सुला दिया है। वह सर्पिणी के समान है, जो अपने बच्चे को ही खा डालती है।

(ख) बनवीर एवं पन्ना के दीपदान में क्या अंतर था ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : बनवीर ने दीपदान के आयोजन के बहाने नृत्य का आयोजन करवाया और प्रजाजनों को इस नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय सिंह की हत्या की योजना बनाई, जबकि पन्ना ने अपने पुत्र रूपी दीप का दान किया था। उसने मेवाड़ के सिंहासन के उत्तराधिकारी कुँवर उदय सिंह की रक्षा के लिए अपने इकलौते पुत्र चंदन का दीप-दान किया था।

(ग) 'दीपदान' एकांकी द्वारा एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है ?

उत्तर : डॉ० राम कुमार वर्मा द्वारा रचित 'दीपदान' शीर्षक एकांकी में राजपुताने की वीरांगना पन्ना धाय के अभूतपूर्व बलिदान चित्रण करना एकाकीकार का उद्देश्य है। पन्ना धाय ने जिस प्रकार त्याग एवं बलिदान की भावना का परिचय देते हुए, अपने पारिवारिक मोह एवं आसक्ति से ऊपर उठकर अपने कलेजे के टुकड़े चंदन को उदय सिंह की रक्षा में होम करके बलिदान का जो सर्वोत्कृष्ट आदर्श प्रस्तुत किया है, उसका चित्रण करते हुए एकांकीकार कर्तव्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता तथा स्वामिभक्ति का संदेश दे रहे हैं तथा यह स्पष्ट कर रहे हैं कि राष्ट्रप्रेम पुत्रप्रेम से कहीं अधिक एवं महान होता है।

(घ) 'दीपदान' एकांकी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : एकांकी का शीर्षक सोद्देश्य एवं सार्थक है। एकांकी का समस्त कथानक 'दीपदान' शीर्षक के चारों ओर घूमता है। एकांकी में घटित समस्त घटनाओं का संबंध चित्तौड़ में होने वाले दीपदान से अवश्य है। बनवीर ने मयूर पक्ष नामक कुंड में तुलजा भवानी की पूजा के लिए दीपदान का आयोजन किया तथा पन्ना धाय के पुत्र चंदन को उदय सिंह समझकर यमराज को उसका दीपदान किया। पन्ना कुँवर उदय सिंह की रक्षा के लिए अपने कुल के दीपक चंदन का दान कर देती है। इस प्रकार शीर्षक अत्यंत उपयुक्त एवं सटीक है।