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Workbook Answers of Bahu Ki Vida - Ekanki Sanchay

Workbook Answers of Bahu Ki Vida - Ekanki Sanchay
बहू की विदा - एकांकी संचय


अवतरणों पर आधारित प्रश्न


अगर तुम्हारी सामर्थ्य कम थी, तो अपनी बराबरी का घर देखते। झोंपड़ी में रहकर महल से नाता क्यों जोड़ा?


(क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे, कब तथा क्यों कहा है ?

उत्तर : उपर्युक्त कथन जीवनलाल ने प्रमोद से तब कहे, जब जीवनलाल प्रमोद की बहन कमला को विदा न करने का अपना निर्णय सुना देता है और दहेज की माँग पूरी न होने की बात कहता है। 


(ख) श्रोता ने अपने सामर्थ्य' के संबंध में क्या कहा?

उत्तर : प्रमोद ने जीवनलाल से कहा कि जितनी भी उनमें क्षमता थी और जितना उनसे हो सका, उन्होंने अपनी बहन कमला के दहेज में उतना सामान अवश्य दिया है।


(ग) 'झोंपड़ी' तथा 'महल' से वक्ता का संकेत किस-किस ओर है ?


 उत्तर : 'झोंपड़ी' कहकर जीवन लाल ने प्रमोद पर व्यंग्य किया है और 'महल' शब्द का प्रयोग हैसियत वालों के लिए किया गया है। जीवनलाल के अनुसार जो लोग सामर्थ्यवान नहीं हैं, उन्हें सामर्थ्यवान लोगों से रिश्ता जोड़ने का सपना नहीं देखना चाहिए।


(घ) वक्ता किस बात पर क्रोधित है तथा क्यों ?

उत्तर : जब जीवनलाल प्रमोद से कहता है कि यदि उसे बहन विदा करानी थी, तो दहेज पूरा क्यों नहीं दिया ? प्रमोद ने जब यह कहा कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार जितना हो सका, उतना हमने दिया, तब प्रमोद की बात सुनकर जीवनलाल क्रोधित हो गए।


मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी को विदा कराना चाहती हैं, तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।


(क) वक्ता कौन है ? उसके अनुसार उसकी शान को क्या ठेस पहुंची थी ?

उत्तर : वक्ता जीवनलाल है। जीवनलाल के अनुसार उसके बेटे के विवाह में कम दहेज़ देकर और बारात की ठीक से खातिर न होने के कारण बिरादरी में उसकी हँसी हुई तथा उसकी शान को ठेस पहुँची जिसका घाव आज भी विद्यमान है।


(ख) 'घाव' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया गया है ?

उत्तर : यहाँ 'घाव' शब्द का प्रयोग दिल को लगने वाली चोट से है, जो कि जीवनलाल के बेटे की बारात की खातिर ठीक से न होने के कारण उसके नाम को जो धब्बा लगा, शान को जो ठेस पहुँची, बिरादरी में जो हँसी हुई, उस करारी चोट के घाव से है।


(ग) वक्ता ने घाव के लिए मरहम भेजने' की बात कहकर क्या संकेत किया ?

उत्तर : जीवनलाल ने 'घाव के लिए मरहम भेजने की बात कहकर उन्होंने संकेत किया है कि उनके बेटे के विवाह में कम दहेज देकर तथा बारात की ठीक से खातिरदारी न होने के कारण उनकी शान को जो ठेस पहुँची, उस घाव का इलाज केवल धन रूपी मरहम से ही हो सकता है। यदि वह अपनी बहन को विदा कराना चाहता है, तो धन लेकर आए।


(घ) क्या वक्ता के उपर्युक्त कथन को आप सही मानते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: वक्ता के उपर्युक्त कथन को हम सही नहीं मानते। धन के लोभी व्यक्ति लड़की के गुणों को न देखकर उसे धन से तोलते हैं। माता-पिता अपनी बेटी के विवाह पर अपने सामर्थ्य के अनुसार दहेज देते हैं, पर ससुराल वाले उससे तृप्त न होकर वधू को प्रताड़ित करते हैं। यह प्रथा समाज के लिए अभिशाप है। आज दहेज-मुक्त समाज के निर्माण की आवश्यकता है।


ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। और तुम . ( उत्तेजित स्वर में) कल के छोकरे मुझे बेवकूफ बनाना चाहते हो?



(क) उपर्युक्त कथन में कौन, किससे किस संदर्भ में बात कर रहा है ?

उत्तर : उपर्युक्त कथन जीवनलाल ने प्रमोद से तब कहे जब बहन को विदा करने के लिए जीवनलाल उससे धन की माँग करता है।


(ख) 'बाल धूप में सफ़ेद नहीं हुए हैं - से उसका क्या आशय है ?

उत्तर : जीवनलाल कहते हैं कि उनके बाल धूप में सफ़ेद नहीं हुए हैं बल्कि इतने वर्षों का अनुभव है उनके पास। वे प्रमोद से कहते हैं कि मैं तुम्हारी चाल समझता हूँ, तू मुझे बेवकूफ़ नहीं बना सकते। 


(ग) वक्ता ने उपर्युक्त कथन श्रोता के किस कथन के उत्तर में कहे हैं ?

उत्तर : जब प्रमोद जीवनलाल से कहता है कि आप इस समय मेरी बहन कमला को विदा कर दें। हम गौने में आपकी हर माँग को पूरी करने की चेष्टा करेंगे।


(घ) वक्ता की क्या माँग थी ? वक्ता के अनुसार उसके नाम पर क्या धब्बा लगा था ?

उत्तर : जीवनलाल ने विदा करने के बदले में धन की माँग की थी क्योंकि उसका कहना था कि उन्होंने न तो पूरा दहेज़ दिया और न ही ठीक से बारात की खातिर की, इससे उसकी शान को ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में हँसी हुई और उसके नाम पर धब्बा लगा। उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। 



 तो वह क्या कर लेता ? मेरे सामने मुँह खोलने की हिम्मत नहीं है उसमें।


(क) 'वह' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? 

उत्तर : 'वह' शब्द का प्रयोग जीवनलाल के बेटे रमेश के लिए किया गया है। 


(ख) वक्ता ने उपर्युक्त बात श्रोता के किस कथन के उत्तर में कही है?

उत्तर : जब जीवनलाल ने प्रमोद से उसकी बहन को विदा करने के लिए पाँच हज़ार रुपये नकद की माँग की तो प्रमोद कहता है कि उस भोली-भाली लड़की ने आपका क्या बिगाड़ा है, जो विदा न करके आप उससे बदला ले रहे हैं। यदि कमला के पति रमेश बाबू होते तो ऐसा न होने देते। तब जीवनलाल ने ये शब्द कहे।


(ग) वक्ता ने अपने बेटे की क्या विशेषताएँ बताईं ?

उत्तर : जीवनलाल कहते हैं कि मेरा बेटा बहुत समझदार है। मेरे सामने मुँह खोलने की उसमें हिम्मत नहीं है। वह बड़ों के मुँह लगने की बदतमीज़ी करने वाला आवारा लड़का नहीं है। वह बहुत आज्ञाकारी है। 


(घ) वक्ता का बेटा कहाँ गया हुआ था और क्यों ? क्या उसका जाना सफल रहा ?

उत्तर : जीवनलाल का बेटा रमेश अपनी बहन गौरी को विदा कराने के लिए उसके ससुराल गया हुआ था। वहीं उसका जाना सफल नहीं रहा। क्योंकि उन्होंने भी दहेज पूरा न देने के कारण गौरी को विदा नहीं किया था।



तुम्हारी बहन के सपने कभी पूरे नहीं होंगे और उसके सपनों के खून का दाग तुम्हारे हाथों और तुम्हारी माँ के आँचल पर होगा! समझे ?


(क) उपर्युक्त वाक्य किस एकांकी से लिया गया है ? वाक्य किसने तथा किससे कहा है ? 

उत्तर : उपर्युक्त वाक्य 'बहू की विदा' एकांकी से लिया गया है। यह वाक्य जीवनलाल ने प्रमोद से कहा है। 


(ख) 'तुम्हारी बहन के सपने कभी पूरे नहीं होंगे' आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जीवनलाल प्रमोद से कहता है कि तुमने पूरा दहेज नहीं दिया और न ही बारात की ठीक से खातिर की थी। इसलिए तुम्हारी बहन का पहले सावन में अपनी सखी-सहेलियों के साथ हँस-खेलकर बिताने का सपना कभी पूरा नहीं होगा।


(ग) वक्ता ने सपने पूरे न होने के लिए किस-किस को ज़िम्मेदार बताया क्या आप वक्ता के कथन को उचित मानते हैं ?

उत्तर : जीवनलाल ने प्रमोद की बहन कमला के सपने पूरे न होने के लिए प्रमोद के हाथों और उसकी माँ के आँचल को जिम्मेदार ठहराया। अर्थात् उन दोनों के कारण ही कमला को सब सहन करना पड़ रहा है। वक्ता का यह कथन बिल्कुल अनुचित है।


(घ) वक्ता ने अपनी बेटी गौरी के विवाह के संबंध में वक्ता से क्या कहा ? इससे वक्ता के चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है ?

उत्तर : जीवनलाल ने अपनी बेटी गौरी के विवाह के संबंध में प्रमोद से कहा कि उन्होंने भी पिछले महीने अपनी बेटी गौरी की शादी की है। बरात की इतनी खातिरदारी दी कि लोग दंग रह गए। इससे जीवनलाल की अहंकारी प्रवृत्ति का पता चलता है ।


बेटी और बहू को एक तराजू में तौलना चाहते हो ? बेटी-बेटी है, बहू-बहू।


(क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे कहा है तथा कब ?

उत्तर : उपर्युक्त कथन जीवनलाल ने प्रमोद से तब कहा, जब प्रमोद ने कहा कि क्या हमारी बहन आपकी कोई नहीं है ? 


(ख) 'बेटी' और 'बहू' से किस-किस की ओर संकेत है ?

उत्तर : यहाँ 'बेटी' जीवनलाल की बेटी गौरी है तथा 'बहू' प्रमोद की बहन तथा रमेश की पत्नी कमला है। 


(ग) बेटी वाला होकर भी वक्ता को किस बात पर अहंकार था ?

उत्तर : बेटी वाला होकर भी जीवनलाल को अपने संपन्न होने का अहंकार था। वह अपने द्वारा दिए गए दहेज़ की प्रशंसा के पुल बाँधता है। वह स्वयं को नाकवाला कहता है। वह कहता है कि बेटीवाला होकर भी उसकी मूंछ ऊँची है।


(घ) 'बेटी-बेटी है, बहू-बहू' इस कथन से वक्ता की किस मानसिकता पर प्रकाश पड़ता है ? इस संबंध में अपने विचार भी प्रकट कीजिए। 1

उत्तर : 'बेटी-बेटी है, बहू-बहू' जीवनलाल के इस कथन से उसकी संकुचित मानसिकता का पता चलता है। वह अपनी बेटी और किसी की बेटी अर्थात् अपनी बहू के साथ समान व्यवहार नहीं करता। वह धन का लोभी है। हमारे विचार में हमें बहू के रूप में अपने घर में आई दूसरों की बेटियों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जैसा हम अपनी बेटियों के साथ कभी भी नहीं देखना चाहते।



ज़रूर ! और हाँ, उसे यह भी बताते जाना कि अगली बार मेरे लिए 'मरहम' लेकर विदा कराने कब आओगे?


(क) 'ज़रूर' शब्द का प्रयोग वक्ता ने किस प्रश्न के उत्तर में किया है और क्यों ?

उत्तर : 'ज़रूर' शब्द का प्रयोग जीवनलाल ने तब किया जब प्रमोद कहता है कि आप अपनी ज़िद पर अड़े हैं, इसलिए आपसे विनती करना व्यर्थ है परंतु क्या जाने से पहले वह एक बार अपनी बहन से मिल सकता है ? जीवनलाल चाहते थे कि प्रमोद स्वयं अपनी बहन से विदा न करने की बात बता दे और वह कब फिर आएगा, यह भी बता दे।


(ख) जीवनलाल के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : जीवनलाल दहेज का लोभी है। वह हठी भी है। वह खोखले सम्मान को बहुत महत्त्व देता है। वह क्रोधी स्वभाव का है। वह असंवेदनशील व्यक्ति है। धन के लालच में वह अपनी बहू को विदा नहीं करता और उसके भाई को भी जली-कटी सुनाता है।


(ग) 'मरहम' शब्द का आशय स्पष्ट कीजिए। वक्ता किस प्रकार के 'मरहम' की बात कर रहा है और क्यों?

उत्तर : 'मरहम' का शाब्दिक अर्थ है किसी घाव पर लगाया जाने वाला लेप। परंतु यहाँ इसका प्रयोग प्रतीकात्मक अर्थ के रूप में हुआ है। जीवनलाल के अनुसार उसके बेटे के विवाह में कम दहेज देने तथा में बारात की ठीक से खातिर न होने के कारण उसके मन को जो ठेस लगी, उसका घाव आज भी विद्यमान है। उस घाव का इलाज धन रूपी मरहम से हो सकता है।


(घ) दहेज़ प्रथा पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर : दहेज़ प्रथा समाज के लिए एक भयानक अभिशाप है। यद्यपि इस समस्या के उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा कानून बनाए गए हैं, परंतु फिर भी इस पर काबू नहीं पाया जा सका है। मेरे विचार में दहेज़ की प्रथा समूल नष्ट होनी चाहिए और बेटे तथा बेटी वाले को एक-दूसरे की पीड़ा को समझना चाहिए। दहेज़-मुक्त समाज का निर्माण होना चाहिए। ।



 मैं कहता हूँ, रोओ मत। इन मोतियों का मूल्य समझने वाला यहाँ कोई नहीं है। पानी में पत्थर नहीं पिघल सकता।


(क) कौन, किससे किस संदर्भ में बात कर रहा है ?

उत्तर : प्रमोद अपनी बहन कमला से कह रहा है। जब कमला का ससुर जीवनलाल बिना धन लिए उसे विदा करने के लिए तैयार नहीं होता, तो प्रमोद अपनी बहन से एक बार मिलना चाहता था।


(ख) रोने वाला कौन था ? उसके रोने का क्या कारण है ?

उत्तर : रोने वाली प्रमोद की बहन कमला थी। प्रमोद अपनी बहन कमला को विदा कराने के लिए जीवनलाल के यहाँ आया था, जिससे कि वह पहला सावन अपने माता-पिता के घर बिता सके, परंतु दहेज का लोभी जीवनलाल अपनी बहू को दहेज़ के रूप में पाँच हज़ार रुपये दिए बिना विदा नहीं करना चाहता था। 


(ग) वक्ता ने 'मोतियों का प्रयोग किस अर्थ में किया है ?

उत्तर : प्रमोद ने 'मोतियों' का प्रयोग आँसुओं के अर्थ में किया है। प्रमोद ने अपनी बहन को धीरज बँधाते हुए कहा कि यहाँ उसके आँसुओं से कोई पसीजने वाला नहीं है, इसलिए वह रोना बंद करे।


(घ) 'पानी में पत्थर नहीं पिघलता' वाक्य का व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : प्रमोद अपनी बहन को समझाता हुआ कहता है कि तुम्हारे ससुर जीवनलाल का हृदय इतना पत्थर का है कि वह बिना धन लिए तुम्हें विदा नहीं करेगा। वह शीघ्र ही घाव के मरहम के रूप में पाँच हज़ार रुपये लेकर आएगा और अपनी बहन को विदा कराकर ले जाएगा।


किस लड़की की यह कामना नहीं होगी, भैया ? लेकिन उस कामना की पूर्ति के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाना कहाँ तक ठीक है ?


(क) हर लड़की की कामना क्या होती है ? एकांकी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर : हर लड़की की कामना होती है कि विवाह के बाद वह अपना पहला सावन अपने माता-पिता के घर में अपनी सखी-सहेलियों के साथ हँस-खेलकर बिताए।


(ख) उस कामना की पूर्ति में बाधा क्यों आ रही है ?

उत्तर : पहले सावन में अपने माता-पिता के घर जाने का कमला का सपना पूरा इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि उसके ससुर जीवनलाल विवाह में पूरा दहेज न देने तथा बारात की खातिर न करने के कारण प्रमोद से पाँच हज़ार रुपये नकद की माँग करते हैं।


(ग) श्रोता उस कामना की पूर्ति के लिए क्या कीमत चुकाने को तैयार है ? 

उत्तर : प्रमोद अपनी बहन की पहले सावन में मायके जाने की कामना की पूर्ति के लिए अपना मकान बेचने को तैयार है।


(घ) वक्ता ने उसे ऐसा करने से क्यों रोका ?

उत्तर : कमला अपने भाई को घर न बेचने के लिए अपने सुख-सुहाग की सौगंध देती है क्योंकि साल-दो-साल बाद प्रमोद को उसकी छोटी बहन विमला का ब्याह भी करना है। इसलिए अपनी इस कामना की पूर्ति के लिए वह इतनी बड़ी कीमत चुकाने को उचित नहीं समझती।


धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा, भैया। माँ जी तो ममता की मूर्ति हैं ही, बाबू जी ज़रा जिद्दी स्वभाव के हैं। समय के साथ वे भी सब भूल जाएँगे।


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? धीरे-धीरे कौन-सी बात ठीक हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है ?

उत्तर : वक्ता कमला है और श्रोता कमला का भाई प्रमोद है। कमला अपने भाई प्रमोद से कहती है कि तुम चिंता न करो। धीरे-धीरे उसके ससुर जीवनलाल का व्यवहार भी उसके प्रति बदल जाएगा। माँ तो वैसे भी ममता की मूर्ति हैं और बाबू जी भी समय के साथ सभी गिले-शिकवे भूल जाएँगे।


(ख) 'माँ जी' के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : 'माँ जी' अर्थात् राजेश्वरी जीवनलाल की पत्नी है। वह धैर्यवान, ममतामयी, शालीन तथा सरल हृदया है। राजेश्वरी को जब यह पता लगता है कि उसका पति बहू की विदा के बदले में पाँच हज़ार रुपये की माँग कर रहा है तो उसने वे रुपये स्वयं देने का निश्चय किया; क्योंकि वह अपनी बहू तथा उसके भाई के हृदय की पीड़ा को भली-भाँति समझती थी। 1


(ग) 'बाबू जी' के किस व्यवहार से उनके ज़िद्दी होने का आभास होता है ? उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : प्रमोद अपनी बहन कमला को विदा कराने के लिए जीवनलाल के यहाँ आया था, जिससे कि वह पहला सावन अपने माता-पिता के घर बिता सके, परंतु जीवनलाल ज़िद में आ जाता है कि उनके द्वारा पूरा दहेज न देने तथा बारात की ठीक से खातिर न करने के कारण उसके हृदय में जो घाव हो गया है, उसके लिए मरहम के रूप में पाँच हजार रुपये देने के बाद ही वह अपनी बहन को विदा कराकर ले जा सकता है। प्रमोद के बहुत गिड़गिड़ाने के बावजूद वह बहू को विदा करने के लिए तैयार नहीं होता। वह लोभी, हठी और क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति है।


(घ) बाबू जी को कौन-सी बात खल रही थी ? 'भैया' उनकी शिकायत दूर करने के लिए क्या करने को तैयार था ?

उत्तर : बाबू जी को प्रमोद से इस बात की शिकायत थी कि उन्होंने ब्याह में पूरा दहेज नहीं दिया था और साथ ही बारात की ठीक तरह से खातिरदारी नहीं की थी। इसलिए बहू विदा तभी होगी, जब पाँच हज़ार रुपये नकद दिए जाएँगे। भैया उनकी शिकायत दूर करने के लिए अपना मकान तक बेचने को तैयार थे। 


बस ! मैं देती हूँ तुम्हें रुपये। उनके मुंह पर मारकर कहना कि यह लो कागज़ के रंग-बिरंगे टुकड़े, जिन्हें तुम आदमी से ज़्यादा प्यार करते हो। ( उठकर सामने वाले द्वार की ओर बढ़ती हुई) मैं अभी लाती हूँ। 


(क) कौन रुपये देने की बात कर रही है ? और किसके मुँह पर कागज़ के टुकड़े फेंके जाने हैं ? वक्ता का परिचय दीजिए।

उत्तर : राजेश्वरी रुपये देने की बात कर रही है। राजेश्वरी अपने पति जीवनलाल के मुँह पर कागज़ के टुकड़े अर्थात् नोट फेंके जाने की बात कह रही है। राजेश्वरी जीवनलाल की पत्नी है। वह धैर्यवान, ममतामयी, शालीन और सरल हृदया है। वह अपनी बहू और उसके भाई के हृदय की पीड़ा को समझती है, इसलिए स्वयं रुपये देने को तैयार हो जाती है।


(ख) यहाँ रंग-बिरंगे टुकड़ों से क्या अभिप्राय है ? कुछ लोग इनके पीछे क्यों भागते हैं ? अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर : यहाँ रंग-बिरंगे टुकड़ों से अभिप्राय धन से है। कुछ लोगों के लिए धन ही सब कुछ होता है। धन के सामने वे किसी भी संबंध को अहमियत नहीं देते। उनके लिए धन ही नाक और मूंछ होती है। उनके अनुसार जिनके पास पैसा नहीं होता, वह नाक और मूंछ होते हुए भी नकटा और मूंछ कटा होता है। 


(ग) उपर्युक्त पंक्तियों में समाज की किस विकृति की ओर संकेत किया गया है ?

उत्तर : इन पंक्तियों में समाज में व्याप्त दहेज़ की विकृति की ओर संकेत किया गया है। दहेज़ के लोभी ससुराल वाले आदमी से ज़्यादा धन को महत्त्व देते हैं और धन के लालच में भूल जाते हैं कि जो उनकी बहू है, वह भी किसी की बेटी है। वे जैसा व्यवहार अपनी बहू के साथ कर रहे हैं, वैसा व्यवहार उनकी बेटी के साथ भी हो सकता है।


(घ) 'बहू की विदा' एकांकी का संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : 'बहू की विदा' शीर्षक एकांकी में भारतीय समाज में व्याप्त दहेज की कुरीति तथा उसके अभिशाप पर करारा व्यंग्य किया है। वर्तमान समाज में बेटी के जन्म से ही उसके विवाह के समय दिए जाने वाले दहेज़ को लेकर माता-पिता चिंतित रहने लगते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार वे दहेज़ भी देते हैं, परंतु धन के लोभी उससे तृप्त नहीं होते और तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। एकांकीकार का संदेश है कि दहेज़ की प्रथा समूल नष्ट हो और दहेज़-मुक्त समाज का निर्माण हो। 



ठीक ही कहा है आपने। आज के युग में पैसा ही नाक और मूंछ है। जिसके पास पैसा नहीं, वह नाक- -मूंछ होते हुए भी नकटा है, मूंछ-कटा है।


(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं ? वह किस बात पर व्यंग्य कर रहा है ?

उत्तर: वक्ता प्रमोद है तथा श्रोता जीवनलाल है। वह कह रहा है कि आज के युग में पैसा ही सबका सम्मान है। बिना पैसे के समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता। यही कारण है कि गरीब को कोई सम्मान नहीं देता और अमीर व्यक्ति सब जगह आदर पाता है। 


(ख) उपर्युक्त पंक्तियों में आज के युग में किस बुराई की ओर संकेत किया गया है ? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर : उपर्युक्त पंक्तियों में इस बात की ओर संकेत किया गया है कि आज के युग में धन का बहुत अधिक महत्त्व है। जिसके पास धन होता है, वही सम्मान पाता है, गरीब व्यक्ति को कहीं से भी सम्मान नहीं मिलता। कहा जाता है कि जिसके पास पैसा नहीं, वह नाक और मूंछ होते हुए भी नकटा और मूंछ कटा होता है।


(ग) क्या आप वक्ता की बात से सहमत हैं ? कारण सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर : हाँ, हम वक्ता की बात से पूर्णतया सहमत हैं क्योंकि आज के युग में धन बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाने लगा है। धन पाने के लिए लोग अपने नैतिक मूल्यों तथा अपने सगे-संबंधियों को भी छोड़ देते हैं और रातों-र -रात धनवान बनना चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि आज के समय में धनवान को ही समाज में सम्मान मिलता है, धनवान के ही संबंधी और मित्र होते हैं तथा धनवान गलत को भी सही साबित करने की क्षमता रखता है।


(घ) 'बहू की विदा' एकांकी के द्वारा एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है ?

उत्तर : 'बहू की विदा' शीर्षक एकांकी में भारतीय समाज में व्याप्त दहेज की कुरीति तथा उसके अभिशाप पर करारा व्यंग्य किया है। वर्तमान समाज में बेटी के जन्म से ही उसके विवाह के समय दिए जाने वाले दहेज़ को लेकर माता-पिता चिंतित रहने लगते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार वे दहेज़ भी देते हैं, परंतु धन के लोभी उससे तृप्त नहीं होते और तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। एकांकीकार का संदेश है कि दहेज़ की प्रथा समूल नष्ट हो और दहेज़-मुक्त समाज का निर्माण हो।



'हमने तो जीवनभर की कमाई दे दी और उनकी नज़र में दहेज़ पूरा नहीं दिया गया। लोभी कहीं के!


(क) उपर्युक्त वाक्य का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : उपर्युक्त वाक्य जीवनलाल ने तब कहा जब गौरी के ससुराल वालों ने यह कहकर गौरी को विदा नहीं किया कि गौरी के पिता जीवनलाल द्वारा दहेज़ कम दिया गया है। 


(ख) किसने जीवनभर की कमाई किसे दे दी और क्यों ?

उत्तर : जीवनलाल ने अपनी बेटी गौरी के दहेज़ में उसके ससुराल वालों को अपने जीवनभर की कमाई दे दी थी।


(ग) दहेज़ के दुष्प्रभाव पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर : भारतीय समाज में दहेज़ की समस्या एक भयानक अभिशाप है। वर्तमान समाज में बेटी के जन्म से ही उसके विवाह के समय दिए जाने वाले दहेज़ को लेकर माता-पिता चिंतित रहते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार वे बेटी के विवाह पर दहेज़ भी देते हैं, परंतु धन के लोभी ससुराल वाले उतने से तृप्त नहीं होते और वधू को तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। इस समस्या का उन्मूलन तभी हो सकता है यदि पढ़े-लिखे युवक-युवतियाँ दहेज़ लेने-देने को अस्वीकार कर दें। ।


(घ) 'लोभी' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर : 'लोभी' शब्द का प्रयोग जीवनलाल की बेटी गौरी के ससुराल वालों के लिए किया है। उन्हें लोभी इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्होंने जीवनलाल की बेटी गौरी को इसलिए विदा नहीं किया क्योंकि जीवनलाल ने दहेज़ पूरा नहीं दिया था।



अब भी आँखें नहीं खुली ? जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए तुम दूसरों से चाहते हो वही दूसरे की बेटी को भी दो। जब तक बहू और बेटी को एक-सा नहीं समझोगे, न तुम्हें सुख मिलेगा और न शांति !


(क) किसकी आँखें नहीं खुलीं और क्यों ?

उत्तर : जीवनलाल की आँखें नहीं खुलीं क्योंकि उसे अपनी बेटी का उसके ससुराल वालों द्वारा किए अपमान पर क्रोध आता है, परंतु अपने द्वारा किसी की बेटी का अपमान करना दिखाई नहीं देता। 


(ख) उपर्युक्त अवतरण का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जब जीवनलाल की बेटी को उसके ससुराल वाले दहेज़ कम देने के कारण विदा नहीं करते, तो जीवनलाल अपमानित महसूस करता है और तिलमिलाकर उन्हें बुरा-भला कहता है। तब जीवनलाल की पत्नी राजेश्वरी कहती है कि तुमने भी तो किसी की बेटी को विदा न कर उनका अपमान किया है। तब जीवनलाल उसे डाँट देते हैं और फिर राजेश्वरी उपर्युक्त कथन कहती है।


(ग) वक्ता कौन है ? उसके चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर : वक्ता राजेश्वरी है, जो कि जीवनलाल की पत्नी है। वह धैर्यवान, ममतामयी, शालीन और सरल हृदया है। जब राजेश्वरी को पता लगता है कि उसका पति बहू की विदा के बदले में पाँच हज़ार रुपये की माँग कर रहा है, तो उसने वे रुपये स्वयं देने का निश्चय किया क्योंकि वह अपनी बहू तथा उसके भाई के हृदय की पीड़ा को समझती है। वह अपने पति को भी खरी-खोटी सुनाने में भी नहीं चूकती।


(घ) बहू और बेटी में अंतर क्यों किया जाता है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : हमारे समाज बहू और बेटी में अंतर किया जाता है, जो कि बहुत अनुचित है। किसी दूसरे की बेटी के दुख-दर्द को नहीं समझा जाता। उसके परिवार की मजबूरियों को नहीं समझा जाता और उसे धन के लोभ में बात-बात पर प्रताड़ित किया जाता है। यदि हम चाहते हैं कि हमें सुख और शांति मिले तो बहू और बेटी को एक-समान समझना होगा।


बहू और बेटी ! बेटी और बहू !! अजीब उलझन है। कुछ समझ में नहीं आता। 


(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं ? कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : वक्ता जीवनलाल है और श्रोता राजेश्वरी है। जब राजेश्वरी अपने पति जीवनलाल से कहती है कि जैसा व्यवहार तुम अपनी बेटी के लिए दूसरों से चाहते हो, वैसा व्यवहार ही तुम दूसरे की बेटी के साथ करो। जब तक बेटी और बहू को एक-सा नहीं समझोगे, तब तक तुम्हें न सुख मिलेगा और न शांति। तब जीवनलाल बेचैनी से इधर-उधर टहलते हैं और उपर्युक्त कथन कहते हैं।


(ख) वक्ता की क्या उलझन है ? इस उलझन का क्या परिणाम हुआ ?

उत्तर : जीवनलाल की उलझन यह है कि उसने बहू और बेटी में हमेशा अंतर रखा। बेटी को अपनी बेटी माना और बहू को पराए घर की बेटी माना। बहू की किसी गलती के न होते हुए भी उसने उसे हमेशा प्रताड़ित किया। इस उलझन का परिणाम यह हुआ कि जब जीवनलाल ने अपनी बहू को विदा नहीं किया तो उसकी बेटी गौरी को भी दहेज़ कम देने के आरोप में उसके ससुराल वालों ने विदा न किया।


(ग) बेटी और बहू कौन हैं ? आजकल बेटी और बहू में क्यों तथा किस प्रकार अंतर किया जाता है ? 

उत्तर : इस एकांकी में बेटी गौरी है और बहू कमला है। आजकल धन व दहेज के लोभी लोग बेटी और बहू में अंतर करते हैं। यदि ससुराल वालों की उम्मीद से कम दहेज़ दिया जाता है, तो बहू को तरह-तरह से शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। वे यह नहीं सोचते कि उनकी बहू भी किसी की बेटी है।


(घ) दहेज़ प्रथा को रोकने के लिए कुछ सुझाव दीजिए।

उत्तर : दहेज़ की समस्या समाज के लिए अभिशाप है। यद्यपि इस समस्या के उन्मूलन के लिए हर दिशा में प्रयास हो रहे हैं। सरकार द्वारा कानून बनाकर भी इस पर रोक का प्रावधान किया गया है तथापि इस पर काबू नहीं पाया जा सका है। दहेज़ विरोधी कानून के अंतर्गत दहेज़ लेने और देने को अपराध घोषित किया गया है, फिर भी चोरी-छिपे यह समस्या बढ़ती जा रही है। सरकार को दहेज़ विरोधी कानून को अत्यंत कड़ा करके उस पर सख्ती से अम्ल करवाना चाहिए। यदि आजकल के शिक्षित नवयुवक व नवयुवतियाँ दहेज़ लेने-देने को अस्वीकार कर दें, तो इस समस्या का हल हो सकता है।


कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा। (राजेश्वरी की ओर मुड़कर) अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रही हो ? अंदर जाकर तैयारी क्यों नहीं करतीं ? बहू की विदा नहीं करनी है क्या ? 


(क) 'कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है।' वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : इस वाक्य का अर्थ है कि कई बार जीवन में हमें अपनी गलतियों का अहसास नहीं होता, परंतु जब हमें कोई चोट लगती है, तो हम अपनी गलती को समझने लगते हैं और अपने को सुधार लेते हैं। जिस प्रकार जीवनलाल अपनी बहू को विदा नहीं करता, तो उसे अपना वह व्यवहार गलत नहीं लगता, परंतु जब उसकी बेटी को भी उसके ससुराल वाले विदा नहीं करते तब उसे अपने गलत व्यवहार की समझ आ जाती है और वह अपनी बहू को भी विदा करने के लिए तैयार हो जाता है।


(ख) उपर्युक्त वाक्य किसने, किससे कहे और कब ?

त्तर : उपर्युक्त वाक्य जीवनलाल ने प्रमोद तथा अपनी पत्नी राजेश्वरी से कहे। तब कहे, जब जाते हुए प्रमोद ने जीवनलाल से कहा कि वह जल्दी ही फिर आएगा और इस बार जीवनलाल की चोट के लिए मरहम (पाँच हज़ार रुपये) लाना नहीं भूलेगा।


(ग) 'चोट और मरहम' शब्दों का प्रयोग किन-किन संदर्भो में किया गया है ?

उत्तर : एकांकीकार ने 'चोट' शब्द का प्रयोग जीवनलाल के दिल पर लगने वाले घाव के लिए किया है, जो कि उसके बेटे के विवाह पर दहेज़ कम देने और बारात की ठीक से खातिर न करने के कारण उसके दिल में लगा था और उस घाव का इलाज केवल धन रूपी मरहम से हो सकता है। 7


(घ) जीवनलाल का हृदय परिवर्तन कैसे हुआ ?

उत्तर : जीवनलाल धन के लोभ में आकर अपनी पुत्रवधू को पहले सावन के अवसर पर मायके नहीं भेजता। उधर उसकी अपनी पुत्री के ससुराल वाले भी जब उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं तो उसकी आँखें खुल जाती हैं और उसका हृदय परिवर्तित हो जाता है। वह भी अपनी बहू को मायके के लिए विदा करने का निर्णय ले लेता है।