Workbook Answers of Wah Janmbhumi Meri - Sahitya Sagar
वह जन्मभूमि मेरी - साहित्य सागर |
अवतरणों पर आधारित प्रश्न
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी
ऊँचा खड़ा हिमालय, आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले पड़, नित सिंधु झूमता है।
गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग पर छहर रही हैं।
वह पुण्यभूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
(क) उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कविता से ली गई हैं ? उसके रचयिता कौन हैं? कवि ने भारत की उत्तर
तथा दक्षिण दिशाओं की किस-किस विशेषता का वर्णन किया है ?
उत्तर : उपर्युक्त पंक्तियाँ 'वह जन्मभूमि मेरी' कविता से ली गई हैं और इसके रचयिता श्री सोहनलाल द्विवेदी हैं। भारत के उत्तर में स्थित हिमालय की ऊँचाई को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह आकाश को छू रहा हो। हमारे देश के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर को देखकर ऐसा लगता है मानो वह भारत के पैरों के नीचे निरंतर झूमता रहता है।
(ख) कवि ने 'त्रिवेणी' शब्द का प्रयोग किस लिए किया है ? त्रिवेणी कहाँ है तथा वहाँ कौन-कौन सी नदियाँ आकर मिलती हैं?
उत्तर : कवि ने 'त्रिवेणी' शब्द का प्रयोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के लिए किया है। त्रिवेणी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नामक स्थान में है और यहाँ गंगा, यमुना तथा सरस्वती आकर मिलती हैं।
(ग) कवि ने भारत को 'पुण्यभूमि' और 'स्वर्णभूमि' के विशेषणों से क्यों संबोधित किया है ?
उत्तर : भारत के आकाश को छूने वाले हिमालय पर्वत, विशाल हिंद महासागर तथा गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों के सौंदर्य के कारण भारत को पुण्यभूमि कहा जाता है। भारत की मिट्टी अन्यंत उर्वरा है, यहाँ फसलें खूब होती हैं । यहाँ की धरती सोना उगलती है, इसलिए इसे स्वर्णभूमि कहा जाता है।
(घ) कवि 'हिमालय' और 'सिंधु' के संबंध में क्या कल्पना करता है?
उत्तर : भारत के उत्तर में स्थित हिमालय की ऊँचाई को देखकर कवि कल्पना करता है कि मानो वह आकाश को छू रहा है। देश के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर को देखकर कवि कल्पना करता है कि मानो वह भारत के पैरों के नीचे निरंतर झूमता रहता है।
झरने अनेक झरते, जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं, कोयल पुकारती है।
बहती मलय पवन है, तन-मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
(क) उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर भारत-भूमि के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर : भारत-भूमि का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। भारत-भूमि की पहाड़ियों में अनेक झरने झरते हैं। यहाँ की झाड़ियों में चिड़ियाँ चहक रही हैं। भारत की घाटियों में कोयलों की कूक सुनाई देती है तथा यहाँ बहने वाली मंद सुगंधित पवन सभी के तन-मन को संवारती है।
(ख) भारत-भूमि की पहाड़ियों, अमराइयों और पवन की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर : भारत की पहाड़ियों में से अनेक झरने झरते हैं। यहाँ के आम के बागों में बसंत ऋतु में जब आमों पर बौर आता है, तो कोयल की कूक सुनाई पड़ती है। मलयाचल से आती हुई हवा शीतल, मंद तथा सुगंधित होती है।
(ग) कवि ने भारत-भूमि को 'धर्मभूमि' और 'कर्मभूमि' कहकर क्यों संबोधित किया है?
उत्तर : भारत-भूमि में धर्म का बोलबाला है अर्थात् यहाँ के लोग धर्म में आस्था रखते हैं, इसलिए इस भूमि को धर्मभूमि कहते हैं। यह धरती कर्मभूमि है क्योंकि यह कर्म करने की प्रेरणा देती है।
(घ) उपर्युक्त पंक्तियों का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर : भारत-भूमि की प्राकृतिक विशेषताओं की ओर संकेत करता हुआ कवि कहता है कि यहाँ की पहाड़ियों से सुंदर झरने निकलते हैं। आमों के बागों में बौर आने पर कोयलें कूकती हैं । मलयाचल से बहने वाली हवा मंद, सुगंधित और शीतल होती है। यहाँ के निवासी धर्म में आस्था रखते हैं। यह भूमि धर्म करने की प्रेरणा देती है। यह हमारी जन्मभूमि और मातृभूमि हैं।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी, पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
(क) गीता का उपदेश किसने, किसे और कहाँ दिया था ? इस उपदेश का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध-क्षेत्र में मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का उपदेश देकर उसके मोह को दूर किया और उसे युद्ध की ओर प्रवृत्त किया।
(ख) 'जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया'-पंक्ति का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि किसने जन्म लेकर भारत का सुयश किस प्रकार बढ़ाया?
उत्तर : भारत की पवित्र भूमि पर ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, जिन्होंने अपने देश का सुयश दूर-दूर तक फैलाया। गौतम बुद्ध ने अहिंसा का संदेश दिया, दया का मार्ग दिखाया और ज्ञान का दीपक दिखाकर सभी को सही मार्ग दिखाया, जो भारत में ही नहीं, अन्य देशों में भी फैल गया।
(ग) कवि ने भारत-भूमि को युद्धभूमि' और 'बुद्धभूमि' कहकर संबोधित क्यों किया है?
उत्तर : कवि ने भारत को बुद्ध के कारण दया व अहिंसा का पुजारी स्वीकार किया है और इसे 'बुद्धभूमि' कहा है। दूसरी ओर आत्मसम्मान व मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार रहने वाले रण बाँकुरों की ओर संकेत करके इसे 'युद्धभूमि' कहा है।
(घ) उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवि ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर : भारत भूमि इतनी पवित्र है कि यहाँ श्रीराम तथा सीता का जन्म हुआ; यहीं पर श्रीकृष्ण ने बाँसुरी बजाई और गीता का ज्ञान सुनाया, इसी भूमि पर गौतम बुद्ध का आगमन हुआ, जिन्होंने जन साधारण को करुणा एवं दया का पाठ पढ़ाया और मानवता की राह दिखाई।
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