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Workbook Answers of Bade Ghar Ki Beti - Sahitya Sagar

Workbook Answers of Bade Ghar Ki Beti - Sahitya Sagar
बड़े घर की बेटी - साहित्य सागर


 श्रीकंठ सिंह की दशा बिलकुल विपरीत थी।


(क) श्रीकंठ सिंह की शारीरिक बनावट किसके विपरीत थी और कैसे?

उत्तर : श्रीकंठ सिंह की शारीरिक बनावट अपने छोटे भाई लाल बिहारी सिंह से बिल्कुल विपरीत थी। लाल बिहारी सिंह दोहरे बदन का सजीला जवान था-भरा हुआ मुखड़ा, चौड़ी छाती। परंतु बी. ए. की डिग्री प्राप्त करने के लिए लगे परिश्रम और उद्योग ने श्रीकंठ सिंह के शरीर को निर्बल और चेहरे को कांतिहीन बना दिया था।


(ख) सम्मिलित कुटुंब के संबंध में श्रीकंठ सिंह के क्या विचार थे?

उत्तर : श्रीकंठ सिंह प्राचीन सभ्यता और सम्मिलित कुटुंब के पक्षधर थे। वे पाश्चात्य प्रथाओं के प्रेमी नहीं थे। स्त्रियों को कुटुंब में मिल-जुलकर रहने की जो अरुचि होती है, उसे वे हानिकारक समझते थे।


(ग) सम्मिलित कुटुंब के संबंध में श्रीकंठ सिंह और उनकी पत्नी के विचारों का अंतर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर : श्रीकंठ सिंह सम्मिलित परिवार के उपासक थे। आजकल स्त्रियों को कुटुंब में मिल-जुलकर रहने की जो अरुचि होती है, उसे वह जाति और देश दोनों के लिए हानिकारक समझते थे। परंतु उनकी पत्नी का इस विषय में उनसे विरोध था। उसका विचार था कि यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन की कलह से जीवन नष्ट करने की अपेक्षा अच्छा है कि अलग होकर रहा जाए।


(घ) श्रीकंठ सिंह की पत्नी का संबंध किस कुल से था ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : श्रीकंठ की पत्नी आनंदी एक बड़े उच्च कुल की लड़की थी। उसके पिता एक छोटी-सी रियासत के बड़े जमींदार थे। विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, झाड़फानूस, आनरेरी मजिस्ट्रेटी और ऋण; जो एक प्रतिष्ठित ज़मींदार के योग्य पदार्थ हैं, सभी उनके पास विद्यमान थे।


वह एक सीधा-सादा देहाती गृहस्थ का मकान था, किंतु आनंदी ने थोड़े ही दिनों में अपने-आप को इस नई परिस्थिति के ऐसा अनुकूल बना लिया, मानो विलास के सामान कभी देखे ही न थे।


(क) 'सीधा-सादा गृहस्थ'-से किसकी ओर संकेत किया गया है? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर: जब आनंदी अपने ससुराल आई तो यहाँ का घर एक सीधा-सादा देहाती गृहस्थ का मकान था। मकान में खिड़कियाँ तक न थीं, न ज़मीन पर फर्श और न दीवार पर तस्वीरें। जिस बनाव-श्रृंगार की उसे बचपन से आदत थी, वह यहाँ नाममात्र को भी न था।


(ख) आनंदी के पिता उसके विवाह को लेकर किस प्रकार के धर्म संकट में थे?

उत्तर : आनंदी के विवाह को लेकर ठाकुर भूप सिंह धर्म संकट में थे-न तो वे यही चाहते थे कि विवाह के कारण ऋण का बोझ बढ़े और न ही यह स्वीकार था कि उनकी बेटी को भाग्यहीन समझना पड़े।


(ग) आनंदी के मायके और ससुराल के वातावरण में क्या अंतर था ?

उत्तर : आनंदी के ससुराल का रंग-ढंग उसके मायके से बिल्कुल अलग था। जिस बनाव-श्रृंगार की उसे बचपन से आदत थी, वह यहाँ नाममात्र को भी न था। हाथी-घोड़ों का कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुंदर बहली तक न थी। यहाँ सैर करने को कोई बाग आदि न था। मकान में खिड़कियाँ तक न थीं, न ज़मीन पर फ़र्श और न दीवार पर तस्वीरें थीं। वह एक सीधा-सादा देहाती गृहस्थ का मकान था।


(घ) आनंदी और लाल बिहारी की तकरार किस बात पर शुरू हुई?

उत्तर : एक दिन आनंदी का देवर लाल बिहारी सिंह दो चिड़ियाँ लिए हुए आया और उन्हें पकाने को कहा। आनंदी ने पकाते समय हाँडी में जितना घी था, वह सब माँस में डाल दिया, इसलिए दाल में घी न था। लाल बिहारी ने घी को लेकर आनंदी के मायके के संबंध में चुभती बात कह दी, तो आनंदी ने भी उसका उत्तर देते हुए कहा कि वहाँ इतना घी तो नित्य नाई-कहार ही खा जाते हैं। जिसे सुनकर लाल बिहारी को क्रोध आ गया। बात बढ़ने पर उसने खड़ाऊँ उठाकर आनंदी की ओर फेंकी। उसकी उँगली में काफी चोट आई।


भाभी, भैया ने निश्चय किया है कि वे मेरे साथ इस घर में न रहेंगे। अब वे मेरा मुँह भी देखना नहीं चाहते, इसलिए मैं जाता हूँ। उन्हें फिर मुँह न दिखाऊँगा। मुझसे जो अपराध हुआ, उसे क्षमा करना।


(क) भाभी और भैया का परिचय दीजिए। भैया ने क्या निश्चय किया था और क्यों? 

उत्तर : श्रीकंठ सिंह लाल बिहारी सिंह के बड़े भाई थे। उन्होंने बी. ए. की डिग्री प्राप्त की थी तथा एक दफ़्तर में नौकरी करते थे। आनंदी एक बड़े उच्च कुल की लड़की थी। उसके पिता एक छोटी-सी रियासत के ताल्लुकेदार तथा ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे। विवाह के बाद ससुराल के सीधे-साधे मकान में भी उसने अपने आपको ढाल लिया था। वह स्वभाव से दयालु थी। भैया ने जब अपने भाई लाल बिहारी की धृष्टता और अपनी पत्नी की सारी बातें सुनी, तो वे अपने सम्मिलित परिवार को छोड़ने की बात पर अड़ गए।


(ख) आनंदी के स्वभाव की चर्चा कीजिए। वह अपने पति पर किस बात के लिए झुंझला रही थी?

उत्तर : आनंदी परिस्थिति के अनुसार अपने-आपको ढाल लेती है। वह स्वभाव से क्रूर नहीं बल्कि दयालु थी। वह अपने पति पर इस बात के लिए झुंझला रही थी कि उन्हें क्रोध क्यों आता है ? उसे इस बात का पछतावा हो रहा था कि बात इतनी क्यों बढ़ गई थी ?


(ग) आनंदी की अपने पति से क्या बातचीत हुई?

उत्तर : जब आनंदी ने लाल बिहारी को यह कहते सुना कि वह जा रहा है, तो आनंदी अपने पति से कहती है कि लाल बिहारी बाहर खड़ा बहुत रो रहा है, उसे भीतर बुला लो। वह अपने-आपको कोसती है कि उसने झगड़ा क्यों उठाया? जब श्रीकंठ भाई को मनाने के लिए नहीं माना तो फिर आनंदी कहती है कि आपको बाद में पछताना पड़ेगा। आप उन्हें रोक लें। परंतु फिर भी उसके पति नहीं उठे तो आनंदी ने लाल बिहारी का हाथ पकड़ कर रोक लिया।


(घ) घटनाक्रम ने अंत में किस प्रकार मोड़ लिया?

उत्तर : घर छोड़कर जाते हुए लाल बिहारी ने घर में रहने के लिए यह शर्त लगाई कि जब तक मुझे यह न मालूम हो जाए कि भैया का मन मेरी तरफ से साफ हो गया है, तब तक मैं इस घर में कदापि न रहूँगा। श्रीकंठ का हृदय भी पिघल गया। उन्होंने लाल बिहारी को गले से लगा लिया। श्रीकंठ सिंह और लाल बिहारी सिंह इन दोनों भाइयों को गले मिलते देख उनके पिता बेनी माधव सिंह ने कहा-'बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं। बिगड़ता हुआ काम बना लेती हैं।'