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Workbook Answers of Sanskar Aur Bhavna - Ekanki Sanchay

Workbook Answers of Sanskar Aur Bhavna - Ekanki Sanchay
संस्कार और भावना - एकांकी संचय


अवतरणों पर आधारित प्रश्न


वहीं उसकी मिसरानी ने मुझे बताया। कहने लगी "तुम्हारा बेटा तो बहुत बीमार रहा, मरकर बचा। सुनकर मैं शर्म से गड़ गई। मेरा बेटा बीमार रहे और मुझे पता भी न लगे।



(क) कौन किसके घर गई थी और क्यों ?

उत्तर : माँ कुमार के घर गई थी, जहाँ उसकी मिसरानी ने उनके बड़े बेटे अविनाश की बीमारी के बारे में बताया था।


(ख) वहाँ उसे किसने क्या बताया ?

उत्तर : वहाँ कुमार की मिसरानी ने माँ को बताया कि उनका बड़ा बेटा अविनाश बहुत बीमार रहा था। वह मरकर बचा है 1


(ग) उसका बेटा उससे अलग क्यों रहता है ? वक्ता उससे क्यों नहीं मिलने जाता ?

उत्तर: के रूप माँ का बड़ा बेटा अविनाश उनसे अलग रहता है क्योंकि अविनाश ने एक विजातीय बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह किया था। माँ इस विवाह की बड़ी विरोधी थी। वह पुराने विचारों की महिला थी। माँ उससे मिलने नहीं जाती थीं क्योंकि नीची समझी जाने वाली एक विजातीय लड़की को वह अपनी बहू में स्वीकार नहीं कर सकी थीं।


(घ) 'वे बहुत समझाते थे। नाराज़ भी हो जाते थे' - पंक्ति में 'वे' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है। उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर : इन पंक्तियों में 'वे' शब्द का प्रयोग अविनाश के पिता के लिए प्रयुक्त हुआ है। अविनाश के पिता माया-ममता  में बहुत अधिक विश्वास नहीं करते थे। वे जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करना जानते थे। वे अपनी पत्नी को भी बच्चों से अधिक लगाव के कारण कोसा करते थे। 


अपराध और किसका है ! सब मुझी को दोष देते हैं।


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? परिचय दीजिए।

उत्तर: वक्ता माँ है और श्रोता उसकी बहू उमा है। माँ संस्कारों से बँधी हैं। वे पुराने रीति-रिवाज़ों से बाहर नहीं आ पातीं। वह अत्यंत भावुक है। बहू उमा अतुल की पत्नी और छोटी बहू है। वह धार्मिक रीति-रिवाज़ों को मानती है तथा आदर्शवादी महिला है। 


(ख) वक्ता अपने किस अपराध की ओर संकेत कर रहा है ?

उत्तर : वक्ता (माँ) अपने-आप को इस बात के लिए अपराधी मानती है कि उसे अपने बड़े बेटे अविनाश की बीमारी का पता ही न चला, जो अलग रहता है और पिछले महीने वह गंभीर रूप से बीमार था, मरकर ही बचा था।


(ग) सब वक्ता को किस बात के लिए दोष देते थे ?

उत्तर : सब माँ को इस बात के लिए दोष देते हैं कि वे ही संस्कारों की दासता में फँसी रहीं। पुराने रीति-रिवाज़ों को मानने के कारण उन्होंने अविनाश की बहू को स्वीकार नहीं किया और उसके साथ सभी संबंध तोड़ लिए थे।


(घ) मिसरानी ने वक्ता को किसके बारे में क्या बताया ?

उत्तर : कुमार की मिसरानी ने माँ को बताया कि अविनाश की बहू ने अपने प्राण खपाकर अपने पति को बचा लिया। वह अकेली थी, पर किसी के आगे हाथ पसारने नहीं गई। स्वयं दवा लाती थी, घर का काम करती थी और अविनाश को भी देखती थी।



माया-ममता किसी को भी नहीं छू गई है। हर बात में देश, धर्म और कर्तव्य की दुहाई देना उन्होंने सीखा है। आखिर इनका बाप भी तो ऐसा ही निर्मम था।


(क) वक्ता कौन है ? 'उन्होंने' - शब्द का प्रयोग किनके लिए किया गया है ? 

उत्तर: वक्ता 'माँ' है। माँ ने 'उन्होंने' शब्द का प्रयोग अपने दोनों बेटों अतुल और अविनाश के लिए किया है।


ख) 'इनका बाप भी तो ऐसा ही निर्मम था' वक्ता को उसके निर्ममता के संबंध में कौन-सी घटना याद आ गई?

उत्तर : माँ को अपने पति की निर्ममता की वह बात याद आई, जब अतुल उनका छोटा बेटा बहुत छोटा था। अत्यधिक बीमार होने के कारण उसके बचने की आशा नहीं थी, तब उनके पति शांत मन से उसे धरती पर लिटाने के लिए सामान हटाने लगे थे। सभी लोग भी उनके इस व्यवहार से हैरान हो गए थे।


(ग) वक्ता के बेटों  ने उसे किस बात के लिए कोसा है और क्यों ?

उत्तर : माँ अपने बेटों अविनाश और अतुल को इसलिए कोसती है क्योंकि दोनों ने ही उसे अविनाश की बीमारी के बारे में नहीं बताया। दोनों में माया-ममता नहीं है। हर बात पर वे देश, धर्म और कर्तव्य की दुहाई देते हैं। दोनों अपने बाप के समान निर्मम हैं।


(घ) माँ का हृदय परिवर्तन कब हुआ और कैसे ?

उत्तर: जब माँ को पता लगा कि उसकी बड़ी बहू ने उसके बड़े बेटे अविनाश की बहुत सेवा की है और हैजा जैसी बीमारी से उसे बचा लिया है, तब उसका हृदय बदल जाता है और जब उसे पता चलता है कि अब अविनाश की बहू मरणासन्न है, तो बहू के प्रति ममता और स्नेह जागने के कारण वह अविनाश के यहाँ जाने को तैयार हो जाती है। 


दुनिया ने दाँतों तले उँगली दबाकर कहा था - 'ऐसा भी क्या बाप जो अपने बेटे के लिए भी नहीं रोता। उसी बाप के ये बेटे हैं। मुझे सदा इन्होंने माया-ममता में फँसी हुई कहकर कोसा है। सदा मेरी निंदा की है।


(क) उपर्युक्त अवतरण का संदर्भ लिखिए।

उत्तर: माँ याद करती है कि जिस समय उसका बेटा अतुल छोटा-सा था। उसके बचने की कोई आशा न थी, समय उसके पति शांत मन से उसको धरती पर लिटाने के लिए सामान हटा रहे थे। तब माँ ने उपर्युक्त वचन कहे थे।  उस


(ख) दुनिया ने किसके संबंध में दाँतों तले उँगली दबाकर क्या कहा था और क्यों ? 

उत्तर: जब पिता ने अपने अत्यधिक बीमार बेटे को शांत मन से धरती पर लिटाने के लिए सामान हटाया तो सभी लोगों ने हैरान होकर कहा था कि ऐसा भी क्या बाप, जो अपने बेटे के लिए भी नहीं रोता। पिता की निर्ममता और कठोर हृदयता के कारण लोगों ने ऐसा कहा था।


(ग) बाप बेटों की किस समानता का उल्लेख किया गया है ?

उत्तर : माँ ने बाप-बेटों की अनेक बातों में समानता बताई है। दोनों को माया-ममता छू भी नहीं गई है। हर बात पर वे देश, धर्म और कर्तव्य की दुहाई देते हैं। दोनों ही निर्मम हैं। दोनों ही माँ को मोह-माया में फँसी हुई कहकर कोसते हैं।


(घ) माँ के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : माँ एकांकी की प्रमुख पात्र हैं। वह संस्कारों से बंधी हैं और पुराने रीति-रिवाज़ों से बाहर नहीं आ पाती। अपने बड़े बेटे अविनाश द्वारा एक विजातीय बंगाली महिला से विवाह कर लेने पर वह बेटे और बहू से नाता ही तोड़ लेती है। वह बहुत भावुक है। बड़े लड़के की बीमारी की बात सुनकर वह व्याकुल हो उठती है। जब उसे पता लगता है कि उसकी बड़ी बहू ने अविनाश की बीमारी में बहुत सेवा की, तो उसका हृदय परिवर्तित हो जाता है। अविनाश की बहू की मरणासन्न अवस्था का पता लगने पर उसके मन में बहू के प्रति ममता व स्नेह जाग जाता है और वह वहाँ जाने को तैयार हो जाती है। 


हाँ, बहुत भोली माता जी ! बहुत प्यारी। जो एक बार देख लेता है, वह फिर उसी रूप को नहीं भुला सकता। बार-बार देखने को मन करता है।


(क) उपर्युक्त पंक्तियों में किसके बारे में बात की जा रही है ? उसके व्यक्तित्व एवं चरित्र की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर : उपर्युक्त पंक्तियों में अविनाश की पत्नी की बात की जा रही है। अविनाश की पत्नी का संबंध एक विजातीय बंगाली परिवार से है। वह अपने पति को बहुत चाहती है। परिवार से अलग रहकर भी वह संतुष्ट है। उसके मन में किसी के प्रति आक्रोश या घृणा का भाव नहीं है। वह अत्यंत रूपवान है, उसकी वाणी में माधुर्य है तथा उसका व्यक्तित्व आकर्षित है। वह अत्यंत व्यवहार कुशल है।


(ख) उमा अविनाश की बहू के घर क्यों और कब गई थी ?

उत्तर : एक दिन जब माँ अविनाश और उसकी बहू से गुस्सा होकर बहुत दुखी हो रही थी, तब उमा उनके घर गई थी। वह उनसे लड़ने गई थी क्योंकि वह ही माँ के दुख का कारण थी। वह न होती, तो बड़े भइया माँ से अलग न होते।


(ग) उमा की बात सुनकर माँ की क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर: उमा की बात सुनकर माँ बहुत हैरान रह गई। वह बड़ी उत्सुकता से उमा की सारी बात सुनने लगी। उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि उमा वहाँ जाकर इतने स्पष्ट शब्दों में सब बात कह देगी। 


(घ) उमा ने अविनाश की बहू को क्या सुझाव दिया था ?

उत्तर: उमा ने अविनाश की बहू से कहा कि यदि वह चाहे तो सब कुछ ठीक हो सकता है। तुम अपने पति को छोड़ दो क्योंकि माँ को बेटे से अलग करना पाप है। इसके लिए यदि प्राण भी देने पड़ें, तो कम हैं। 


सोचो, तुम स्वयं पत्नी हो। यद्यपि तुमने मेरी तरह पति का वरण नहीं किया है, फिर भी तुम उन्हें प्यार करती हो. । मुझे यह बात बुरी लगी, मैंने कहा, “सब पलियाँ अपने पतियों को प्यार करती हैं, मैं भी करती हूँ, प्राणों से भी अधिक प्यार करती हूँ।


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? किसे, किसकी, कौन-सी बात बुरी लगी और क्यों ?

उत्तर: वक्ता अविनाश की पत्नी और श्रोता छोटी बहू उमा है। उमा को अविनाश की पत्नी की यह बात बुरी लगी जब उसने कहा कि तुम्हारा प्रेम-विवाह नहीं हुआ है, परंतु फिर भी तुम अपने पति से प्रेम करती हो न! उसे अविनाश की पत्नी का यह पूछना इसलिए बुरा लगा क्योंकि यह सर्वविदित है कि सब पत्नियाँ अपने पतियों से प्रेम करती हैं। 


(ख) श्रोता ने वक्ता की बात सुनकर क्या उत्तर दिया ? 

उत्तर: उमा ने अविनाश की पत्नी की बात सुनकर कहा कि सब पत्नियाँ अपने पतियों को प्यार करती हैं,  वह भी करती है, अपने प्राणों से भी अधिक प्यार करती है। 


(ग) वक्ता के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: वक्ता अविनाश की पत्नी है। उसका संबंध एक विजातीय बंगाली परिवार से है। वह अपने पति को बहुत चाहती है। परिवार से अलग रहकर भी वह संतुष्ट है। उसके मन में किसी के प्रति आक्रोश या घृणा का भाव नहीं है। वह अत्यंत रूपवान है, उसकी वाणी में माधुर्य है तथा उसका व्यक्तित्व आकर्षित है। वह अत्यंत व्यवहार कुशल है।


(घ) अविनाश क्यों अलग रहने लगा था ? माँ अविनाश के घर क्यों नहीं जाती थी ?

उत्तर : अविनाश ने एक विजातीय बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह किया था। परिवार में कोई भी इस विवाह के पक्ष में नहीं था। माँ तो इस विवाह की सबसे बड़ी विरोधी थी। नीची श्रेणी की होने के कारण माँ ने अविनाश की पत्नी को परिवार की बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया। इसीलिए अविनाश अपनी पत्नी के साथ अलग रहने लगा था। माँ अविनाश के घर इसलिए नहीं जाती थी क्योंकि वह संस्कारों की दासता से मुक्त नहीं हो पा रही थी। कुल, धर्म और जाति का भूत उसे तंग करता था।


नहीं भाभी ! मैं नहीं छोड़ सकूँगी। चाहूँ तब भी नहीं।" सुनकर वो मुसकराईं, कहने लगीं, “अच्छा ! अब छोड़ो इन बातों को ! अभी तो आई हो और अभी ले बैठी ये पचड़े। आओ अंदर चलें।


(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? वक्ता ने श्रोता की किस बात को सुनकर उपर्युक्त कथन कहा ?

उत्तर: वक्ता उमा है और श्रोता अविनाश की पत्नी। जब अविनाश की पत्नी ने उमा से पूछा कि यदि कोई उससे कहे कि अतुल की माँ अथवा उसका परिवार उनके विवाह से नाराज़ है, तो क्या वह अपने पति को छोड़ देगी ? तब उमा ने उपर्युक्त कथन कहा। ने


(ख) भाभी कौन है ? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर : भाभी अविनाश की पत्नी है। वह एक विजातीय बंगाली परिवार से है। उसने अविनाश से प्रेम-विवाह किया है। परिवार से अलग रहने पर भी उसके मन में किसी के प्रति आक्रोश नहीं है। उसके व्यक्तित्व में अद्भुत आकर्षण है। उसकी वाणी में माधुर्य है और वह व्यवहार कुशल भी है।


(ग) अविनाश की पत्नी का उमा पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर : अविनाश की पत्नी को देखकर उमा पर जैसी मोहिनी-सी छा गई। उसके रूप को देखकर वह भौचक्की रह गई। उसे अहसास नहीं था कि बंगाली इतने सुंदर होते हैं। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखों, उनकी भोली मुसकराहट, गालों पर रहने वाली हँसी को बार-बार देखने को मन करता था। वह बहुत प्यारी थी। जो एक बार उसे देख लेता था, उस रूप को वह भुला नहीं सकता था।


(घ) उमा के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: उमा अतुल की पत्नी है। वह अपनी सास और पति से बेहद प्यार करती है। वह धार्मिक रीति-रिवाज़ों को मानती है तथा आदर्शवादी महिला है। वह अपनी भाभी के प्रति आदर और प्रेम की भावना रखती है। वह अपनी भाभी के सौंदर्य, व्यवहार तथा वाक्पटुता की प्रशंसिका है। 


कहते हैं चेतन से अचेतन अधिक शक्तिशाली है। उसमें अधिक आकर्षण है, इसलिए तुम एक-दूसरे के प्रति खिंचे। चाहे वह प्रेम था, चाहे घृणा थी, पर असल बात रक्त के खिंचाव की थी, वह होकर रही। काश कि (स्वर डूबता है) काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो सकती। 


(क) 'चेतन से अचेतन अधिक शक्तिशाली है' कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : चेतन से अचेतन में अधिक आकर्षण होता है। जब कोई व्यक्ति हमसे दूर होता है, तो हमें उसकी अधिक आतुर हो जाते हैं। व्यक्ति रहने पर हम उसके प्रति उतना आकर्षित नहीं होते, जितना कि उसके दूर रहने पर होते हैं। याद आत और हम



(ख) 'तुम एक-दूसरे के प्रति खिंचे' 'एक-दूसरे' शब्दों का प्रयोग किस-किस के लिए किया गया है ?

उत्तर : 'एक-दूसरे' शब्दों का प्रयोग अविनाश और उसकी पत्नी तथा अतुल और उसकी पत्नी उमा के लिए किया गया है।


(ग) 'रक्त के खिंचाव' से क्या अभिप्राय है ? वह होकर रही' वक्ता ने ऐसा क्यों कहा है ? 

उत्तर : 'रक्त के खिंचाव' का अर्थ है खून का रिश्ता होने के कारण आकर्षित होना। भाई होने के कारण अविनाश और अतुल में खून का रिश्ता है। उनका आपस में आकर्षित होना स्वाभाविक है। 'वह होकर रही' से भाव है कि खून के रिश्ते ने अपना प्रभाव अवश्य दिखा दिया।


(घ) वक्ता किन संस्कारों की दासता से मुक्त नहीं हो पाता ? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर : वक्ता अर्थात् माँ अपने पुराने संस्कारों की दासता से मुक्त नहीं हो पाती। वह संक्रांति काल की नारी है और संस्कारों से बँधी है। वह प्राचीन रीति-रिवाज़ों से बाहर नहीं आ पाती। कुल, धर्म तथा जाति की रीतियों को वह त्याग नहीं पाती। वह पुराने संस्कारों की बेड़ियों के बंधनों को तोड़ नहीं पाती है।


हाँ, उसी ने कहा था। मैंने उसे बहुत समझाया; अपने प्रेम की दुहाई दी, पर वह सदा यही कहता रहा, “माँ संतान का पालन माँ-बाप का नैतिक कर्तव्य है। वे किसी पर एहसान नहीं करते, केवल राष्ट्र का ऋण चुकाते हैं। वे ऋण-मुक्त हों, यही उनका परितोष है। इससे अधिक मोह है, इसलिए पाप है!


(क) उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : माँ के बड़े बेटे अविनाश ने एक विजातीय बंगाली लड़की से विवाह किया था, पर पुराने संस्कारों की दासता में जकड़ी माँ उस विजातीय युवती को बहू के रूप में स्वीकार नहीं कर पाई। तब अविनाश ने माँ से कहा था कि संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है।


(ख) वक्ता ने किसे क्या समझाया था ?

उत्तर : माँ ने अपने बड़े बेटे अविनाश को बहुत समझाया था। उसे अपने प्रेम की दुहाई भी दी थी क्योंकि मैं अपने बेटे को पाने के लिए व्याकुल हूँ।


(ग) 'संतान का पालन माँ-बाप का नैतिक कर्तव्य है' कथन पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर : अविनाश ने कहा था कि बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है। बच्चों को जन्म देकर और उनका पालन-पोषण करके वे किसी पर एहसान नहीं करते बल्कि केवल राष्ट्र का ऋण चुकाते हैं।


(घ) वक्ता के कथन 'इससे अधिक मोह है, इसलिए पाप है!' पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : संतान का पालन-पोषण करना हर माता-पिता का नैतिक कर्तव्य है। ऐसा करके वे किसी पर एहसान नहीं करते, बल्कि केवल राष्ट्र का ऋण चुकाते हैं। वे ऋणमुक्त हों, उन्हें इसी बात में संतुष्ट हो जाना चाहिए। अगर माता- -पिता इससे अधिक पाने की इच्छा रखते हैं, तो उसे केवल मोह कहा जाएगा। इस प्रकार का मोह पाप होता है।


निर्मम ही नहीं कायर भी। जिन संस्कारों में तुम पली हो, उन्हें तोड़ने की शक्ति तुम में नहीं है, माँ!


(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं ? वक्ता ने श्रोता को निर्मम एवं कायर क्यों कहा ?

उत्तर : वक्ता अतुल है और श्रोता माँ है। अतुल ने माँ को निर्मम और कायर इसलिए कहा क्योंकि वह विजातीय बंगाली लड़की को अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं कर सकी। इसी कारण वह अपने बेटे से भी दूर हो गई। माँ संस्कारों की दासता में पली थी। वह कुल, धर्म और जाति के बंधनों को तोड़कर अविनाश की पत्नी को अपनी बहू स्वीकार नहीं कर सकी।


(ख) एकांकी में विजातीय विवाह की समस्या को किस प्रकार उठाया गया है ? विजातीय विवाह पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर : एकांकी में माँ के बड़े बेटे ने एक विजातीय बंगाली लड़की के साथ प्रेम-विवाह किया था। माँ संस्कारों से बँधी नारी है। वह अपने पुराने रीति-रिवाज़ों से बाहर नहीं आ पाती। यही कारण है कि उसने अविनाश की पत्नी को अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया और यही कारण था कि वह अपने बेटे से भी दूर हो गई। हमारे विचार में जाति, धर्म, क्षेत्रीयता अथवा प्राचीन संस्कार मानव-विरोधी नहीं हो सकते अपने संस्कारों के नाम पर हमें अपनी संतान से दूर नहीं होना चाहिए।


(ग) माँ अविनाश के यहाँ जाने को क्यों तैयार हो जाती है ?

उत्तर : माँ बहुत भावुक है। बड़े लड़के अविनाश की बीमारी की बात सुनकर वह व्याकुल हो उठती है। जब उसे पता लगता है कि उसकी बड़ी बहू ने अविनाश की बहुत सेवा की है और हैजा जैसी बीमारी से उसे बचा लिया है, तो उसका हृदय बदल जाता है। जब उसे पता चलता है कि अब अविनाश की बहू मरणासन्न है, तो बहू के प्रति ममता और स्नेह जागने के कारण वह अविनाश के यहाँ जाने को तैयार हो जाती है।


(घ) 'संस्कार और भावना' कहानी का संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : प्रस्तुत एकांकी में संस्कारों की पृष्ठभूमि और भावना के आवेग का द्वंद्व मार्मिक ढंग से उजागर किया गया है। संक्रांति काल की नारी 'माँ' के बड़े पुत्र अविनाश ने एक विजातीय बंगाली स्त्री से विवाह किया है, जिसके कारण वह अपने परिवार से अलग रहता है। जब माँ को पता चलता है कि उसका बेटा बहुत बीमार रहा और अब उसकी बहू भी मरणासन्न है, तो उसके वात्सल्य, ममता एवं पुत्रप्रेम के सामने उसके संस्कार नहीं टिक पाते । वह संस्कारों की दासता से मुक्त हो जाती है। अंत में संस्कारों पर भावना की जीत होती है।


जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने को तैयार रहते हैं, एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम उन्हीं बातों को स्वीकार कर लेते हैं।


(क) उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: अनेक बार कुछ ऐसी बातें होती हैं, जो हमारे संस्कारों के विरुद्ध होती हैं, तब हम उन बातों का जोरदार विरोध करते हैं और सभी बंधन तोड़ देते हैं परंतु फिर कभी ऐसी परिस्थितियाँ बन जाती हैं कि हम उन्हीं बातों को स्वीकार कर लेने को तैयार हो जाते हैं। वात्सल्य व ममता के सामने संस्कार नहीं टिक पाते। 


(ख) 'संस्कार और भावना' शीर्षक एकांकी में किस समस्या को उजागर किया गया है ? 

उत्तर: इस एकांकी में विजातीय प्रेम-विवाह तथा संस्कार और भावनाओं के द्वंद्व का वर्णन है। अपने प्राचीन संस्कारों तथा रूढ़िवादी रीति-रिवाज़ों के बंधन में फँसी माँ अपने बड़े बेटे की विजातीय बंगाली पत्नी को अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं करती और इसी कारण अपने बेटे से भी संबंध तोड़ लेती है। परंतु अंत में बहू द्वारा अपने बड़े बेटे की सेवा तथा बहू की बीमारी का समाचार सुनकर ममता तथा स्नेह के कारण वहाँ जाने को तैयार हो जाती है। वह कुल, धर्म और जातिगत बंधनों को तोड़ देती है। अंत में लेखक ने समस्या का हल बताते हुए कहा है कि हम संस्कारों के नाम पर अपनी संतान से दूर नहीं हो सकते।



(ग) माँ के व्यवहार में किस प्रकार बदलाव आया ?

उत्तर: -जब माँ को यह समाचार मिलता है कि अविनाश की पत्नी ने दिन-रात की सेवा से अपने पति को बचा लिया और अब वह खुद मरणासन्न अवस्था में है, तो माँ बेचैन हो जाती है। उसे मालूम है कि यदि बहू को कुछ हो गया, तो अविनाश भी बचेगा नहीं। तब वात्सल्य, ममता और पुत्रप्रेम के सामने उसके संस्कार नहीं टिक पाते। संस्कारों की दासता से मुक्त होकर वह तुरंत अविनाश के घर जाने के लिए तैयार हो जाती है। 


(घ) एकांकी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर : एकांकी का शीर्षक सार्थक, उद्देश्यपूर्ण तथा समीचीन है। एकांकी की सभी घटनाएँ संस्कार और भावनाओं के द्वंद्व के चारों ओर घूमती हैं। एकांकी में इन्हीं दो का द्वंद्व अत्यंत प्रभावोत्पादक ढंग से चित्रित किया गया है। कथानक के अंत में संस्कारों पर भावना की जीत होती है। 


इससे अधिक मोह है, इसलिए पाप है। पर मैं क्या करूँ ! मैं जो इससे अधिक है, उसी को पाने के लिए आतुर हूँ। मैं ही क्यों, सभी माता-पिता यही चाहते हैं। तभी मैं समझती हूँ, उस डाकिन ने मेरे बेटे को मुझसे छीना है। पर वास्तव में दोष उसका नहीं है।


(क) वक्ता कौन है ? उसने उपर्युक्त कथन किससे तथा किस संदर्भ में कहा है ?

उत्तर: वक्ता माँ है। उपर्युक्त कथन माँ ने अपनी छोटी बहू उमा को तब कहा, जब वह अपने बड़े बेटे अविनाश और उसकी पत्नी की बीमारी का समाचार सुनकर व्याकुल हो जाती है और अपने-आप को कोसती है कि वह संस्कारों की दासता से मुक्त होकर अपने बेटे व बहू से अलग क्यों हुई।


(ख) 'इससे अधिक मोह है, इसलिए पाप है' वक्ता ने ऐसा किस संदर्भ में कहा है ?

उत्तर : अविनाश द्वारा एक विजातीय बंगाली लड़की से विवाह करने के बाद माँ ने उससे सारे संबंध तोड़ लिए थे। तब अविनाश परिवार से अलग रहने लगा था। माँ ने अविनाश को बहुत समझाया, अपने प्रेम का वास्ता भी दिया, तब अविनाश ने कहा था कि संतान का पालन करना माँ-बाप का नैतिक कर्तव्य होता है। वे केवल राष्ट्र का ऋण चुकाते हैं, किसी पर एहसान नहीं करते। यदि वे इससे अधिक पाने की इच्छा रखते हैं, तो उसे केवल मोह कहा जाएगा।


(ग) वक्ता के अनुसार उसकी तरह सभी माता- -पिता क्या चाहते हैं ?

उत्तर : माँ कहती है कि वह ऋण से मुक्त होने के साथ-साथ अपने बच्चों का प्यार पाने की इच्छा भी रखती है। वह ही क्यों, बल्कि सभी माता-पिता अपने बच्चों का प्यार पाने को व्याकुल रहते हैं। बच्चों के प्रति मोह माता-पिता की चाह होती है। 


(घ) वक्ता ने 'डाकिन' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया ? फिर उसने यह क्यों कहा कि वास्तव में दोष उसका नहीं है ?

उत्तर : माँ ने 'डाकिन' शब्द का प्रयोग अविनाश की पत्नी के लिए किया था क्योंकि उसी के कारण उसका बेटा उस से छिन गया था। वास्तव में दोष इसका नहीं है ये शब्द उसने तब कहे, जब उसे पता चल गया था कि बड़ी बहू ने उनके बेटे की बीमारी में बहुत सेवा की थी और उसे इस बात का भी अहसास हो चुका था कि यदि वह संस्कारों की दासता से मुक्त हो जाती तो वह अपने बेटे से न बिछुड़ती।